- सरकार ने एमएलसी के लिए उद्धव ठाकरे का नाम राज्यपाल को भेजा
- राज्यपाल कोटे से MLC चुने जाने वाला शख्स गैर राजनीतिक होना चाहिए
कोरोना संकट ने महाराष्ट्र में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा कर दी है. राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. उन्हें 28 मई को मुख्यमंत्री पद संभाले छह महीने पूरे हो जाएंगे. तब तक वे अगर किसी सदन के सदस्य नहीं चुने जाते हैं तो पद पर नहीं रह सकते. दूसरी ओर कोरोना संकट के चलते राज्य में विधान परिषद चुनाव नहीं हो पा रहा है, जिसमें चुने जाने की उम्मीद ठाकरे लगाए हुए थे.
अब कैबिनेट ने उद्धव की कुर्सी बचाने के लिए उनको राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाने की सिफारिश गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से की है. हालांकि इसमें भी पेंच है, गवर्नर कोटे वाला विधान परिषद सदस्य गैर राजनीतिक होना चाहिए. ऐसी परंपरा रही है. ऐसे में बहुत कुछ गवर्नर के रुख पर निर्भर करेगा
दरअसल महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के खतरे और लॉकडाउन के चलते तीन दिन पहले एमएलसी चुनाव टाल दिया गया था. इसके बाद से ही उद्धव की सीएम पद की कुर्सी पर संकट आ गया था. महाराष्ट्र सरकार की सिफारिश के बाद ये संकट छंटता जरूर नजर आ रहा है. लेकिन गेंद अब भी राज्यपाल के ही पाले में है.