6 महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य होना जरूरी
 


 


उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उन्हें 6 माह में राज्य के किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखने के लिए 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना है.


महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली विधान परिषद की दो सीटें खाली हैं. इन्हीं में से एक सीट पर कैबिनेट ने उद्धव ठाकरे को नामित करने की सिफारिश राज्यपाल के पास भेजी है. अगर राज्यपाल सहमत हो जाते हैं तो उद्धव की कुर्सी बच जाएगी                                                •संविधान विशेषज्ञ क्या कहते है                                विधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले एमएलसी सदस्यों के नामों की सिफारिश राज्य सरकार ही करती है. इसके बावजूद राज्यपालों का यह आग्रह रहता है कि जिन नामों की सिफारिश राज्य सरकार कर रही है, वे गैर राजनीतिक हों.


राज्यपाल कोटे की सीटों पर खेल, कला, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य आदि क्षेत्रों से आने वाले विद्वानों को मनोनीत किया जाता है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को सरकार किस क्षेत्र के तहत विधान परिषद में भेज रही है, इसे देखना होगा. यह राज्यपाल के ऊपर निर्भर करेगा कि सरकार के अनुरोध को मानें या नहीं.


अखिलेश सरकार द्वारा भेजे नाम पर नहीं दी थी सहमति


बता दें कि 2015 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने राज्यपाल कोटो से एमएलसी के लिए नामित सीट के लिए 9 उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन गवर्नर रामनाइक ने चार नामों पर अनुमोदन कर दिया था बाकी पांच नाम वापस भेज दिए थे.


राज्य सरकार के द्वारा भेजी गई नामों की सूची से श्रीराम सिंह यादव, लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव, जितेंद्र यादव पर गवर्नर ने अनुमोदन कर दिया था, लेकिन डॉ. कमलेश कुमार पाठक, संजय सेठ, रणविजय सिंह, अब्दुल सरफराज खां और डॉ. राजपाल कश्यप के नाम को वापस भेज दिया था.


गवर्नर ने कहा था कि इनमें से कई व्यक्तियों के विरुद्ध अपराधिक मामले थे. वे संविधान के अनुच्छेद 171(5) के तहत उल्लिखित कुल 5 क्षेत्रों साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा में से किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं. इस कारण उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित नहीं किया जा सकता है. इसके बाद अखिलेश सरकार ने दोबारा से उनकी जगह शायर जहीर हसन 'वसीम बरेलवी', बलवंत सिंह रामूवालिया व मधुकर जेटली जैसे नाम भेजे जिस पर गवर्नर ने सहमति दी थी.